अवसर।

अवसर।   

जला ताप में पल पल जिसने
जीवन को अंगार किया
सबको छाँव दिलाने खातिर
पग पग पर अविकार जिया।
जीवन पथ की बाधाएं भी
जिन्हें डिगा न पायी हैं
जिनके तप बल के प्रभाव से
उम्मीदें मुस्काई हैं।
अगणित दीप जलाकर जिसने
रोशन ये संसार किया
जाने कितने बोल सहे हैं
कभी नहीं प्रतिकार किया।
पल पल खुद तो गरल पिया है
औरों को मधु दान किया
निज कष्टों की परवाह नहीं
औरों को वरदान दिया।
चकाचौंध जिसको ना भाया
प्रतिपल कर्तव्य निभाया
काँटों की परवाह नहीं की
पथ पथ पर पुष्प बिछाया।
साँझ ढले जीवन बेला में
उनके काँटे मत बोना
लेना उनका आशीष सदा
पाया अवसर मत खोना।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        23जुलाई, 2021

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