नेह जताने आ जाओ।
मैंने कुछ नवगीत लिखे हैं
तुम साज सजाने आ जाना
प्रीत के सुंदर पुष्प खिले हैं
तुम नेह जताने आ जाना।।
तुमने वो कैसे जान लिया
मेरे अंतस के भावों को
कैसे तुमने पहचान लिया
जान लिया जब मन को मेरे
अहसास दिलाने आ जाना
प्रीत के सुंदर पुष्प खिले हैं
तुम नेह जताने आ जाना।।
रिस रिस सावन बीत न जाये
संचित ये धन रीत न जाये
जनम जनम से गीत रचे जो
अधरों पर से गीत न जाये
गीत बिसरने से पहले तुम
अधरों पर गीत सजा जाना
प्रीत के सुंदर पुष्प खिले हैं
तुम नेह जताने आ जाना।।
खिला खिला मन का उपवन है
जीवन अपना मृद मधुवन है
सुभग सुगंधित भाव भरे हैं
पुष्पित सारा तन अरु मन है
भावों के खिलते मधुवन में
पिय तुम मधुमास जगा जाना
प्रीत के सुंदर पुष्प खिले हैं
तुम नेह जताने आ जाना।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
13जुलाई, 2021
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