पुलकित पंथ बताओ।
इक दूजे का सम्मान बढ़े और सबका अंतस हर्षित हो।।
रहे न कोई भेद किसी में अरु नहीं किसी में अंतर हो
जीवन में संकेत सुफल हो अरु पुण्य भाव का मंतर हो
सबका हिय आनंदित हो अरु सद्भाव हृदय में संचित हो
ऐसा कोई पंथ बताओ जिस पर चल सब पुलकित हो।।
छोटी छोटी आशाओं अरु इच्छाओं को सम्मान मिले
एक दूजे में सुलह बढ़े अरु एक दूजे को मान मिले
देख समर्पण एक दूजे पर अब जन गण मन आनंदित हो
ऐसा कोई पंथ बताओ जिस पर चल सब पुलकित हो।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
21जून,2021
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