मुझको गाने दो।

मुझको गाने दो।   

बूँदें बन बरसे हैं बादल
मत रोको मुझको गाने दो।।

बरस बरस यूँ बीत गए हैं
तुमसे नेह लगाए मुझको
भरे हृदय थे रीत गए हैं
सपनों ही में पाए तुमको।
आज मिले हो जो मुझको तुम
फिर से वो स्वप्न सजाने दो
बूँदें बन बरसे हैं बादल
मत रोको मुझको गाने दो।।

बीते कितने दिन जीवन के
इस ड्योढ़ी को तकते तकते
कितनी बार रुके अधरों पर
शब्द यहाँ कुछ कहते कहते।
ये पल फिर आये ना आये
सब आज मुझे कह जाने दो
बूँदें बन बरसे हैं बादल
मत रोको मुझको गाने दो।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        04जून, 2021



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