उम्मीद का सूरज।
सूरज का पथ रोका है।।
आसानी से कब मिलता है
सागर में मोती बोलो
भरी यहाँ कब सहज भाव से
सपनों की झोली बोलो।
साहस के आगे बोलो कब
कहाँ किसी ने टोका है
घने अँधेरों ने बोलो कब
सूरज का पथ रोका है।।
माना लहरों का शोर बहुत है
औ सागर में हलचल है
तूफानों के बीच निकलना
माँझी का ही कौशल है।
लहरों के घने थपेड़ों ने
माँझी को कब रोका है
घने अँधेरों ने बोलो कब
सूरज का पथ रोका है।।
हार जीत जीवन के पहलू
इनसे सबका नाता है
वही उठा है पथ में गिरकर
जिसको चलना आता है।
जिसने भी संघर्ष किया है
वक्त उसी का होता है
घने अँधेरों ने बोलो कब
सूरज का पथ रोका है।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
04जून, 2021
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