राज बहारों ने खोला है।
मेरा मन भी डोला है
राज़ बहारों ने खोला है।
रात सँवारे दिन का सूरज
अरु पथ में सुंदर पुष्प सजे
पुरवा के शीतल झोंकों ने
कानों में सुंदर शब्द कहे
पवन झँकोरों ने गा गाकर
कानों में मधुरस घोला है
राज़ बहारों ने खोला है।।
पलकों के मोहक नरतन से
हिय के राज झलकते सारे
अधरों के पुष्पित कंपन से
मृदु श्रृंगार छलकते सारे
नेह को सुरभित पंथ मिला
ऋतुओं ने भी मधु घोला है
राज बहारों ने खोला है।।
आशाओं ने पंख पसारा
उम्मीदों ने ली अँगड़ाई
रात सजाई तारों ने जब
मधुर चाँदनी तब छाई
देख सुनहरी रात चाँदनी
भँवरे का भी मन डोला है
राज बहारों ने खोला है
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
16जून, 2021
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