मौन आवाजें।

मौन आवाजें।   

मोक्ष की गलियों में जब तक मूक आवाजें रहेंगी
कौन कब किससे यहाँ फिर दिल की सब बातें कहेंगी।।

वो खुद शिखर पर बैठ कर सम्राट बन बैठे यहाँ पर
राह की रुसवाईयाँ अब किस कदर बातें करेंगी।।

रातों के उस दर्द को फिर वो भला समझेंगे कैसे
जिनके चारों ही पहर बस रोशनी बातें करेंगी।।

भूख का अहसास क्यूँकर पूछते हो दरबारों में
सूखी छाती से लिपटी नन्हीं आँखें सब कहेंगी।।

वो पैर भी तब चल पड़े थे जब रास्ते सब मौन थे
पैरों के उस दर्द को अब रास्तों की छापें कहेंगी।।

क्या पूछते हो दर्द उनका बैठ कर महलों में यहाँ
दो घड़ी ठहरो वहाँ पर उनकी रातें सब कहेंगी।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       12जून, 2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राम-नाम सत्य जगत में

राम-नाम सत्य जगत में राम-नाम बस सत्य जगत में और झूठे सब बेपार, ज्ञान ध्यान तप त्याग तपस्या बस ये है भक्ति का सार। तन मन धन सब अर्पित प्रभु क...