वक्त कब ठहरा है।
गीत सुनाते चलो बटोही
वक्त रुका कब, जो ठहरेगा
रहा अधूरा गीत कोई तो
नया गीत कैसे पनपेगा।।
काली घटा घिरी गगन में
रिमझिम तेज फुहारें आईं
अगले ही पल बादल में
किरणों की सौगातें आईं।
रुके नहीं काले बादल जब
तूफान यहाँ कब ठहरेगा
गीत सुनाते चलो बटोही
वक्त रुका कब जो ठहरेगा।।
सही वक्त को शस्त्र बनाओ
गीत रचो नव गीत बनाओ
सुखन किरण मिले कहीं जब
आशाओं के दीप जलाओ।
माना सुख के पल छोटे थे
तो दुख भी कितने दिन ठहरेगा
गीत सुनाते चलो बटोही
वक्त रुका कब जो ठहरेगा।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
28मई, 2021
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