एक दर्द।
बात जो दिल में चुभी है बताऊँ कैसे।।
तुम भी हो हम हैं औ जमाने का चलन भी
घाव पर जिससे मिला है निभाऊँ कैसे।।
तुम तो कहते थे के ना रूठोगे कभी
अब जो रूठे हो तुम तो मनाऊँ कैसे।।
गीत कितने ही लिखे हैं तुम्हारी खातिर
बिन तेरे कह दो तुम्हीं कि गाऊँ कैसे।।
कैसे कह दूँ के अब मुझे कुछ याद नहीं
पल जो गुजरे तिरे संग मैं भुलाऊँ कैसे।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
23मई, 2021
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