प्रभु की आराधना।
है ये तेरे हाथ में कैसे मुझको तू उबारे
तू ही मेरी आस है औ तू मेरा विश्वास है
अब डुबो दे तू मुझे या पार मुझको तू उतारे।।
इस जिंदगी के युद्ध में हरपल तू मेरे साथ है
जो तू कह दे दिन हैं मेरे तू कहे तो रात है
तेरे दया के दीप से जगमगा रही है जिंदगी
मुझको क्या चिंता के मेरे सर पे तेरा हाथ है।।
आप ही हो अर्चना और आप ही आराधना हो
आप ही चिंतन हो मेरा औ आप ही साधना हो
आपसे ही हैं जुड़ी हर श्वासें जीवन की मेरे
जब उठे हाथ मेरे प्रभु बस आपकी अरचना हो।।
छोड़ दी मँझदार में ये नाव अब तेरे सहारे
है ये तेरे हाथ में कैसे मुझको तू उबारे।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
19मई, 2021
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