शब्द की भूमिका।
शब्द का आशय भले लघु भाव विस्तृत प्रीत का।
कौन हृदय ऐसा है यहाँ प्रीत न जिसके पले
ढाई आखर प्रीत का ये पंथ जिसके न मिले
जो हिय है श्वेत वसन तो प्रीत ही है तूलिका
भावनाओं के समर में शब्द की है भूमिका।।
सृष्टि का आधार है ये प्रीत ही आकार है
प्रेम पावन हृद पले जो बस वही व्यवहार है
शब्द सिंधु जो उत्तम गढ़े बस वही शुचि गीतिका
भावनाओं के समर में शब्द की है भूमिका।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
06अप्रैल, 2021
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