एक बहाना।
मेरे दर्द को भी एक ठिकाना मिला।।
यूँ भी ताउम्र किस्मत से लड़ना ही था
मुकद्दर को भी इक बहाना मिला।।
मुहब्बत, अदावत, शराफत, बेकसी
कहने को सही एक फसाना मिला।।
तेरे मेरे दरम्यान कुछ तो था जुरूर
ज़माने को यूँ ही नहीं ये बहाना मिला।।
भूल चुका अब जमाने के वो रंजो गम
एक तुम मिले मुझको जमाना मिला।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
14अप्रैल, 2021
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