विनय दान।

विनय दान।  

मुखर सत्य है प्रखर कृत्य है
गुंजित भ्रमर रच रहे प्राण
अवनी अंबर पुण्य मिलन से
कर रहे नूतन निर्माण।

पुलकित मुखरित तपन छुअन की
सहसा भर जाते प्रणय गान
कुसुमित विंबित उत्कंठित मन
कर जाते हैं सर्वस्व दान।

सांध्य समय कर रहा प्रतीक्षित
नव निर्माणों का कर सम्मान
चुम्बित कर नव किसलय का
विस्तारित हो विनय दान।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        30मार्च, 2021

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राम-नाम सत्य जगत में

राम-नाम सत्य जगत में राम-नाम बस सत्य जगत में और झूठे सब बेपार, ज्ञान ध्यान तप त्याग तपस्या बस ये है भक्ति का सार। तन मन धन सब अर्पित प्रभु क...