नव किसलय नव पुष्प।
नीले नीले कुंज निलय में
स्फूर्ति संचार भर रही है
जीवन के हर आशय में।
नई दिशाएं नई विधाएं
अंग अंग नई उमंग जगी
मुस्काते नव किसलय देखो
जागृत अंतस पुण्य विनय है।।
ऋतु परिवर्तन की अँगड़ाई
नव संवत्सर की बेला आई
नूतन भाव विचार नित्य ले
आह्लादित करती पुरवाई।
पंखुड़ियों पर नर्तन करती
पुण्य श्लोक उच्चारित करती
भाव सुरंजित नूतन अंकन
वात वात संचारण करती।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29मार्च, 2021
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