तुम आकार बने।
तुम उसके आकार बने
जो भी स्वप्न संजोया मैंने
तुम उसके साकार बने।
जो तुम बनी नदिया हृदय की
हम नदिया की धार बने
मेरे जीवन की नैया की
तुम ही तो पतवार बने।
बिन तेरे ये सारा जीवन
सूना सूना हो जाता
जो तुम ना मिलती मुझको
उपवन सूना हो जाता।
तेरी सांसों की सरगम से
दिल की वीणा बजती है
तेरे माथे की कुमकुम से
दुनिया मेरी सजती है।
तेरी चाहत की किरणें ही
जीवन के विश्वास बने
तेरे आने से जीवन में
पतझड़ भी मधुमास बने।
तुम ही साँसों की सरगम
तुम वीणा की तान बने
जो तस्वीर बनी थी दिल में
तुम उसके आकार बने।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20अक्टूबर,2020
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