तुझको ही प्यार करूं।
बस तुझको ही अपना जानूं
औ तुझको ही प्यार करूं
जब तक जां में है जां मेरे
बस तुझको ही प्यार करूँ।
तेरा रूप निखारूं हर पल
तेरा ही श्रृंगार करूं
जब तक नैनों में ज्योती है
तेरा ही दीदार करूं।
तेरे सिवा नहीं कुछ मांगूं
ना कोई तकरार करूं
और नहीं कुछ मांगू रब से
बस तुझको ही प्यार करूं।
सुख के पल हों या दुख के
हर पल तेरा साथ रहे
जब तक सांसो में है सांसें
हाथों में तेरा हाथ रहे।
चाहत के नवगीत लिखूँ मैं
गीतों से व्यवहार करूं
जब तक मेरी कलम चलेगी
बस तुझको ही प्यार करूं।।
तुझमें ही पाऊं मैं खुद को
बस तुझको स्वीकार करूं
जब तक जां में है जां मेरे
बस तुझको ही प्यार करूं।।
✍️©अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
27सितंबर,2020
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