नाजुक एहसास।
गुमसुम कहीं वो घबराती तो होगी
मेरे गीतों को वो गुनगुनाती तो होगी
याद आती होंगी जब भी बातें पुरानी
आंखों में सही वो शर्माती तो होगी।
वो बीते पल याद आते तो होंगे
गुजरे वो कल याद आते तो होंगे
चले साथ में दो कदम जो कभी
वो रास्ते तुम्हें याद आते तो होंगे।
महफ़िल में सखियां फिर बुलाती तो होंगी
पुराने नामों से चिढ़ाती तो होंगी
तन्हाई में जब भींगती होंगी पलकें
चुपके से खुद को समझाती तो होंगी।
पुरवा के झोंके फिर सहलाते तो होंगे
मीठी छुवन की याद दिलाते तो होंगे
संभालती होगी भले अपना आँचल
ये झोंके मगर लहराते तो होंगे।
सूरज वहीं फिर ढलता तो होगा
देख उसका मन मचलता तो होगा
मेरी याद अब भी आती तो होगी
पलकों से आंसू छलकता तो होगा।
गुमसुम कहीं वो घबराती तो होगी
मेरे गीतों को वो गुनगुनाती तो होगी।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
09अगस्त,2020
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