सम्मान।

सम्मान         

तेज हवा के झोंकों ने
जीवन पर कितना वार किया
जीवन भी अलबेला ठहरा
हँस कर के स्वीकार किया।

हर भोर नई जिम्मेदारी
ले द्वार पलक का खटकाती
शाम सुहानी फिर आकर
हौले से खुद सहलाती।

शाम सुबह के बीच खड़ी
सपनों की सुंदर डोरी
कभी मिला है साथ सभी का
और कभी खुद नाते जोड़ी।

जिम्मेदारी की गठरी ले
जीवन पथ जो चलते हैं
उनके ही कांधों पर कितने
सुंदर सपने पलते हैं।

इनकी लहरों से भींगे जो
जीवन तर कर जाते हैं
मिलता है सम्मान जगत में
प्रेम सभी से पाते हैं।।

 ✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        19अगस्त,2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

तब तुम आना पास प्रिये

तब तुम आना पास प्रिये जब मन में सुंदर भाव बनें जब पुष्प सुगंधित खिल जाएंँ जब दिल के उस सूनेपन में निष्कपट ज्योति सी जल जाये जब प्रेम मधुर हो...