रुक गयी है सब ज़िंदगी
बंद हो गयी सब बंदगी
टूटता है अब सब्र सारा
थम गई है सब ज़िंदगी।
ज़िंदगी की राह को हम
सब रोशन पुनः कर लेंगे
न तनिक घबराओ प्यारे
फिर नई शुरुआत कर देंगे।।
माना हैं सब बंद गलियां
कैद उपवन, कैद कलियाँ
जल्द ही सब मुक्त होगा
खिलखिलायेंगी ये गलियाँ।
गली के हर इक मोड़ को
फिर आबाद हम कर लेंगे
न तनिक घबराओ प्यारे
फिर नई शुरुआत कर देंगे।।
नियति का है खेल सारा
दनुजता का दोष सारा
हो किसी की भूल चाहे
या अधम व्यवहार सारा।
यदि हमारी भूल है तो
फिर हम सुधार कर लेंगे
न तनिक घबराओ प्यारे
फिर नई शुरुआत कर देंगे।।
माना के तम घनघोर है
दिखता न कोई छोर है
खो रहे हैं धीरज सभी
पर तू नहीं कमज़ोर है।
निराशा की इस रात को
हम रोशन पुनः कर लेंगे
न तनिक घबराओ प्यारे
फिर नई शुरुआत कर देंगे।।
फिर से चहकेंगी ये गलियां
मुस्कुराएँगी सारी कलियाँ
फिर छटेंगे अवसाद सारे
फिर मिलेंगे दोस्त, सखियां।
हम उस आशा के दीपक
को कभी बुझने न देंगे
न तनिक घबराओ प्यारे
फिर नई शुरुआत कर देंगे।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
08जून,2020
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