कुदरत का करिश्मा।



कुदरत का करिश्मा

हर कोई यहां सोचता है
राज दिल के खोलता है
अंदाज कितना भी अलग हो
पर बात अपनी बोलता है।

आदमी सब चाहता है
चाहतों को मांगता है
करूणानिधान भगवान से
हर पल दुआएं मांगता है।

इच्छाएं हैं मगर बड़ी यहां
पूर्ण कब हुई हैं सब यहां
अविराम पर तू चला चल
कोशिशों से है जीत यहां।

वक्त से पहले न पायेगा
कितनी ख्वाहिशें जगायेगा
कुदरत का करिश्मा है अजब
पात्र से अधिक ना पायेगा।।

 ✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
            हैदराबाद
            30जून,2020


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