हमसफ़र
तुम बने जो हमसफ़र तो
रास्ता मुझे मिल गया
मंज़िलें क्या कारवां क्या
जग हमारा हो गया।
चाहे ओझल चन्द्रमा हो
कोई न तारक आज हो
कालिमा ही कालिमा हो
नीरवता का राज हो।
हाथ में जब हाथ तेरा
फिक्र की क्या बात है
ऐसे आलम में
अँधेरा भी सवेरा हो गया।
तुम बने जो हमसफ़र तो
रास्ता मुझे मिल गया।।
है यही चाहत मेरी
के हर पल में तेरा साथ हो
हो खुशी या ग़म हो कोई
बस ज़िंदगी की बात हो।
देख कर धड़के जिसे दिल
वो हमदम मेरा हमराज़ हो
ज़िंदगी का हर अधूरा
अब ख्वाब पूरा हो गया।
तुम बने जो हमसफ़र तो
मैं भी पूरा हो गया।।
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
Great
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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