हे नाथ रक्षा कीजिये
करुणा निधान भगवान तुम हो
हे नाथ रक्षा कीजिये |
हम दीन हीन, दाता तुम्ही हो
हे नाथ रक्षा कीजिये ||
हम मोह माया से ग्रसित हैं
तुम ही तारनहार हो ,
हम बंधे निज स्वार्थ पाश में
तुम ही मुक्ति का मार्ग हो ,
लेकर अपनी शरण में
हे नाथ मुक्ति दीजिये ||
संसार के इस सिंधु की
तरंगें घनघोर हैं,
मैं हूँ मूरख अज्ञानी
न दिखता मुझे कोई छोर है,
बनकर के मेरे पथप्रदर्शक
अर्जुन सदृश ज्ञान दीजिये |
करुणा निधान भगवान् तुम हो
मुझे भी मुक्ति का ज्ञान दीजिये ||
मानसिक विप्लव हर रहे हैं
क्रूर कुविचारित वार से ,
असह्य पीड़ा हो रही है
प्रतिपल कुटिल आघात से |
हे नाथ बनकर सारथी मेरे
झंझावातों से रक्षा कीजिये ||
करुणा निधान भगवान तुम हो
हे नाथ रक्षा कीजिये ||
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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