मैखाना
मैखाने से क्या गुज़रे, हंगामा हो गया
सरे आम चर्चा का बहाना हो गया।
हसरत न थी पीने की, मगर
बिन पिये ही पीने का अफसाना हो गया।
लोग जाते रहे मैखाने तो कोई बात न थी
हम पास से क्या गुज़रे, हंगामा हो गया।
सोचा था कि न जाएंगे उधर
उन्होंने ज़ख्म ही कुछ ऐसा दिया कि,
बचते रहे जिन गलियों से
उन्हीं गलियों में अपना आना जाना हो गया।।
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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