यादें

                  यादें                      


हर घडी , हर वक्त 
हर गली , हर मोड़ पर 
हर जगह , हर छोर पर 
आती हैं - बस यादें | 

भूले-बिसरे, मिले बिछड़े 
जाने-अनजाने लोगों की यादें | 
तन्हाई में चुपके दबे पाँव आकर 
झिंझोड़ जाती हैं, तन-मन को 
ये यादें | 

ज़िंदगी की सूनी राह  की हमसफ़र 
अपनों के जाने के बाद 
कुछ साथ है अगर 
तो वो हैं -यादें | 

लोग आते हैं,
चले जाते हैं ,
पर पास रह जाती हैं -
सिर्फ- यादें ||

अजय कुमार पाण्डेय 

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