सुबह कभी तो आएगी
जब रात का आँचल ढलकेगा
जब भोर की किरण चमकेगी
जब नव पल्लव उपवन महकायेगी
जब नव पल्लव उपवन महकायेगी
वो सुबह कभी तो आएगी।।
जब मजलूमों पर जुल्म न होंगे
जब इंसान मजबूर न होंगे
सबको अपना अधिकार दिलाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।।
जब ऊंच-नीच का भेद मिट जाएगा
अमीर-गरीब का दाग हट जाएगा
जग में सामाजिकता फैलाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।।
जब लिंग भेद खत्म हो जाएगा
जब दहेज के दानव मिट जाएगा
जब बहुएं जिंदा न जलायी जाएंगी
वो सुबह कभी तो आएगी।।
जब आंखों में आंसू न होंगे
लोग भूख से व्याकुल न होंगे
सबके सपनों को आकार दिलाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।।
जब जग से आतंकवाद मिट जाएगा
जाति-धर्म का भेद हट जाएगा
चंहुओर सुख शांति फैलाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी।।
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