दोहा

दोहा

भारत का जन-जन कहे, सबका हो ये गान।
जन गण मन का गीत हो, हम सबका अभियान।।

संविधान का भाव हो, राष्ट्र प्रेम आधार।
पुण्य तिरंगे के तले, ले भारत आकार।।

सदियों की पीड़ा कटी, दूर हुआ अँधियार।
नव युग के निर्माण को, जन गण मन तैयार।।

प्रेम भावना हो हृदय, सबका हो सम्मान।
सबके मन में प्रेम हो, सबमें सबका मान।

कहे देव कर जोड़कर, बस इतनी सी बात।
कर्तव्यों का बोध ही, देता है अधिकार।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
       26 जनवरी, 2024


 

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