पैसे का प्रभाव या अभाव।

पैसे का प्रभाव या अभाव।  

पैसा ऐसी चीज है जिसने सबको नाच नचाया है
जाति धरम औ रिश्ते नाते भेद सभी में भुलाया है।।

सब भावों पर इसका पहरा दुनिया पर ये भारी है 
इसकी एक झलक पाने को दुनिया सब कुछ हारी है
अब तो ऐसा लगता जैसे नैतिकता है बस बातें
इसके आगे नतमस्तक हैं क्या रिश्ते औ क्या नाते
इसकी खन-खन ने दुनिया को पल-पल नाच नचाया है
जाति धरम औ रिश्ते नाते भेद सभी में भुलाया है।।

इसके ही आगे देखा है ये सारी दुनिया झुकती है
बस जिस्म नहीं इसके आगे सभी शराफत बिकती है
सिंहासन तक झुक जाते हैं सरकार खरीदे जाते हैं
इंसानों की क्या बता यहाँ भगवान खरीदे जाते हैं
गीता वेद पुराण ऋषि मुनि का ज्ञान सभी ने भुलाया है
जाति धरम औ रिश्ते नाते भेद सभी में भुलाया है।।

इसकी ताकत के आगे दुनिया के टुकड़े देखा है
भूख, गरीबी, लाचारी का गर्दन जकड़े देखा है
इसके आगे सपने क्या ईमान धरम बंट जाते हैं
जिस आँचल ने पाला, हूँ हैरान कफ़न बंट जाते हैं
इसकी छन-छन के आगे आँचल का मान भुलाया है
जाति धरम औ रिश्ते नाते भेद सभी में भुलाया है।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        06सितंबर, 2022


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