ये रास्ते थकते नहीं।

ये रास्ते थकते नहीं।  

ये कौन कहता है हवायें बात अब करती नहीं
मैं तो कहता हूँ दिशाएँ उसकी अब सुनती नहीं।।

एक रेखा सी खिंची है हर आशियाने में यहाँ
और तुम कहते हो यहाँ वो रेख अब दिखती नहीं।।

है कितनी आवाजें लगाई उम्र ने हर मोड़ पर
मैं कैसे अब कह दूँ यहाँ के उम्र कुछ कहती नहीं।।

कितना कुछ झेला है उसने इस जिंदगी के वास्ते
अब कैसे कह दूँ मैं यहाँ ये उम्र कुछ सहती नहीं।।

भीड़ हो तनहाइयाँ हों मंजिलें हों या के सफर
ये रास्ते हैं विश्वास के ये उम्र भर थकते नहीं।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
         हैदराबाद
        18अगस्त, 2021

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