तूफानों का आदी हूँ।

तूफानों का आदी हूँ।   

मुक्त गगन का पंछी हूँ मैं
सीमाहीन क्षितिज मेरा है
आशाओं का पोषक हूँ मैं
धरती मेरी गगन मेरा है
बाँध सकेगा क्या मुझको
मैं तो इक अनुरागी हूँ
मैं तूफानों का आदी हूँ।।

मुझको कब तक बाँधेंगे 
झूठे रिश्तों के ये बंधन
कब तक मुझको रोकेंगे
स्वार्थयुक्त ये झूठे क्रंदन
परे छोड़ सब बाधाओं को
मैं परिवर्तन का साथी हूँ
मैं तूफानों का आदी हूँ।।

नहीं छाँव का मोह मुझे
वरदानों को क्या तकना
निकल पड़ा जब अपनी धुन में
बीच डगर फिर क्या रुकना
चलते फिरते इस जीवन में
मैं रफ्तारों का साथी हूँ
मैं तूफानों का आदी हूँ।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        27मार्च, 2021





कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

पीड़ा को वरदान न मिलता सब गीत अधूरे रह जाते

यदि पीड़ा को वरदान न मिलता गीत अधूरे रह जाते पीड़ा को वरदान न मिलता सब गीत अधूरे रह जाते कितना पाया यहाँ जगत में कुछ भोगा कुछ छूट गया, कुछ ने ...