तक़दीर की लिखावट
तेरे हाथों की लिखावट मैं
मेरे हाथों की लिखावट तुम
मेरी दुनिया है आशना तुमसे
मेरी तकदीरों की लिखावट तुम।।
तुम्हीं हर राह की मंज़िल
मचलती लहरों का साहिल
सफर जैसा हो, जो भी हो
मगर हर छांव तुम ही हो।।
जो मैं प्यासा इक पनघट हूँ
तो तुम्हीं बूंदें हो बारिश की
हर पल, हर घड़ी, हर लम्हा
मैंने बस तेरी ही ख्वाहिश की।।
कहीं मुजरिम बना हूँ जो
मेरी बेगुनाही तुम ही हो
कभी जो भूल मैंने की
उसकी हसीं सजा तुम हो।।
तुम्हीं से होकर के शुरू
तुम्हीं पर खत्म होता हूँ
तेरी मुस्कान के दम पर
ज़िंदगी में रंग भरता हूँ।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
25जून,2020
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