तिरस्कार मन विह्वल करता
अविश्वास मन विक्षत करता
ठहरेगा पर वही यहां
कसौटी पर जो खरा उतरता।
अगणित थापों को है सहता
तप करके ही सोना बनता
तब जाकर मानस मन की
कसौटी पर वह खरा उतरता।
शंका तो मानव स्वभाव है
पल-पल, प्रतिपल गहरा प्रभाव है
खरा उतरता वही कसौटी पर
जिसका प्रबल मनोबल है।
सत्य मार्ग माना दुष्कर है
पग-पग में अगणित कंटक हैं
पर अमूल्य निधि ये जीवन धन है
जो इस धन को धारण करता
वही कसौटी पर खरा उतरता।।
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
19 मार्च 2020
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