एक कहानी लिखूँ
तुम कथानक मेरे, मैं कहानी लिखूँ
तुम प्रियतम मेरे, मैं जवानी लिखूँ,
समर्पण की बात, जब भी चले,
राष्ट्रपथ पर मैं अपनी जिंदगानी लिखूँ।।
रक्त है धमनियों में या पानी भरा
भावनाएँ जो बहके तो फिर क्या धरा
जिंदगी है ये मिलती इक बार बस
क्यूँ न फिर राष्ट्र पर मैं जवानी लिखूँ।।
तुम कथानक मेरे, मैं कहानी लिखूँ
तुम वो प्रियतम मेरे, जिसपे मैं जवानी लिखूँ।।
अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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