प्रतिकार


प्रतिकार।  

इतिहास को स्वीकार कर
न शोक कर अध्याय पर
लेकर सबक इतिहास से
अन्याय का प्रतिकार कर।

माना समर अवरुद्ध करता
मनुजता के विकास का
पर शांति वो उचित नही
जो मिले दनुज के उपहास से।

वक्त निर्णायक रहा सदा
इस दनुज व्यवहार का
प्रतिकार ने ही रक्षण किया
पर इस सकल ब्रहांड का।

स्वार्थमय विद्वेष से ही
अधर्म फैला है यहां
घृणायुक्त व्यवहार से
पी रहे हलाहल सब यहां।

शत्रु की पहचान कर
रण का शंखनाद कर
धर्मस्थापन के लिए
अधर्म का प्रतिकार कर।

सत्ता सिमट कर जब कभी
निज स्वार्थ बंधन में बंधी
राज धर्म मलिन हुआ तब
एकता खण्डित हुई।

राष्ट्र गौरव के लिए
तू भूमिका स्वीकार कर
स्वार्थ प्रवृत्ति पहचान कर
स्वार्थ का प्रतिकार कर।

इतिहास साक्षी है सदा
इस सकल संसार में
मान रक्षण के लिए
प्रतिकार अंगीकार कर।।

©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
13अप्रैल, 2020








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