यादों को ताम्रपत्र पे लिख दो, भावों को अमरत्व दिला दो,
अंतस के भित्ति चित्र पे चित्रित, आकृतियों में रंग मिला दो।
मधुर प्रणय की इस बेला में, आ मिले तोड़ सारे बंधन,
उल्लासित मधुमित भावों से, करें सुवासित मन को चंदन।
प्रलय प्रणय की मधु सीमा में, आ रखें इक दूजे का मान,
प्रिय आज सुना दो मधुर गान।।
मन की बंद गली में आकर, भावों को अनुमोदित कर दो,
श्रृंगारित मृदु छंदों से, अंतर्मन को मोहित कर दो।
मन के कोरे भित्ति चित्र पर, प्रणय रंग से रचो अल्पना,
चित के कुंज निलय में आकर, पूरी कर दो सभी कल्पना।
अंतस के निज सूनेपन में, प्रिय हो गुंजित फिर मृदुल तान,
प्रिय आज सुना दो मधुर गान।।
घन बन बरसो आज धरा पर, तप्त हृदय शीतल हो जाये,
चन्द्र रश्मि की मृदु छाया से, सिंचित मन कोमल हो जाये।
प्रलय प्रणय से पुण्य प्रवाहित, ये सारा दामन भर जाये,
जीवन का हो राग सुवासित, सूना मन आँगन भर जाये।
चन्द्र किरण की शीतलता में, हो पूर्ण सभी मन के अनुमान,
प्रिय आज सुना दो मधुर गान
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
13 अप्रैल, 2024
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