आज मन की दहलीज पर हैं खड़ी कुछ कल्पनायें
दे रहीं दस्तक हृदय पर फिर मचलती कामनायें
कल्पनाओं से हृदय के शून्य को हम आज भर दें
प्रेम के प्रतिमान सारे गीत में हम आज भर दें।
कुछ अधूरे स्वप्न लेकर साथ हम तुम चल रहे हैं
नेह का अहसास है जब स्वयं को क्यूँ छल रहे हैं
नेह का अहसास चुनकर प्रीत का घट आज भर दें
प्रेम के प्रतिमान सारे गीत में हम आज भर दें।
जीत की फिर क्यूँ हवस हो जब हारने में जीत हो
शब्द भी रहते अबोले जब इस हृदय में प्रीत हो
हार कर इक दूसरे को गीत में नव साज भर दें
प्रेम के प्रतिमान सारे गीत में हम आज भर दें।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
16जून, 2023
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