राष्ट्र प्रथम।

राष्ट्र प्रथम।  

जाति धर्म के नारों में मानवता को बाँट रहे
ऐसा कर के भारत में भारत को ही बाँट रहे।।

बलिदानों ने लिखी कहानी माटी-माटी जीवन जिसका
उसी वृक्ष पर बैठे-बैठे शाख उसी की काट रहे।।

राष्ट्र प्रथम औ राष्ट्र नीति ही जिस भारत का मौलिक है
उस भारत की जड़ में बैठे दीमक बनकर चाट रहे।।

संविधान है मूल राष्ट्र का भारत ऐसी महाशक्ति है
जिसने जग को ज्ञान दिया है उसी ज्ञान को काट रहे।।

आधा ज्ञान डुबा देता है क्या इतना मालूम नहीं
भारत माता को आँचल को टुकड़ों में क्यूँ बाँट रहे।।

शिक्षा का स्थान पवित्र है गुरुकुल ज्ञान ध्यान की भूमि
इसके नैतिक व्यवहारों शुचिता की जड़ काट रहे।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        04दिसंबर, 2022

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