यादों के गीत।
कैसे गीत सुनाऊँ बोलो
बीत रहा कैसा ये जीवन
कैसे इसे बताऊँ बोलो।।
नदिया तरसे सागर तरसे
जाने कैसी रुत आयी है
तरस रहे हैं सभी किनारे
जाने कैसी रुसवाई है
तन-मन के सब भाव उमड़ते
कैसे इसे जताऊँ बोलो
मेघा छाये नैना बरसे
कैसे गीत सुनाऊँ बोलो।।
प्यासी यादें पनघट पर हैं
राह जोहती आ जाओ तुम
सदियों से प्यासी साँसों की
बुझती आस जगा जाओ तुम
बीत रहे दिन कैसे-कैसे
किसको घाव दिखाऊँ बोलो
मेघा छाये नैना बरसे
कैसे गीत सुनाऊँ बोलो।।
भूल गये क्या बातें सारी
या मेरी परवाह नहीं है
भूल गये सपनों की रातें
या कोई परवाह नहीं है
बरस-बरस दिन बीत गये जो
कैसे उसे बुलाऊँ बोलो
मेघा छाये नैना बरसे
कैसे गीत सुनाऊँ बोलो।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
20मार्च, 2022
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें