श्वासों की एक डगर।
बेहतर है कि कह देना
संचित कर उन भावों को
मुश्किल है यूँ रह लेना।
बिखरे तो जीवन बिखरा
भावों पर ना हो पहरा
श्वासों की भी एक डगर
कभी लेना कभी देना।।
दूर हो इक दूसरे से
छल रहे हम आज किसको
भावों में विध्वंस भर कर
तोड़ते हम आज किसको।
भाव का सम्मान भूले
संभव कहाँ तोड़ देना
श्वासों की भी एक डगर
कभी लेना कभी देना।।
तुम भी न कोसो मुझे अब
मैं भी ना कोसूँ तुम्हें
है हृदय में प्यार जो भी
चलो व्यक्त कर दें उन्हें।
अलगाव में संभव कहाँ
याद को फिर तोड़ देना
श्वासों की भी एक डगर
कभी लेना कभी देना।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
16जुलाई, 2021
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