पूरण मेरे सकल काज।
मैं अर्पित करूँ चरण पर आज।।
मैंने प्रतिपल पंथ बुहारा
उम्मीदों का दीप जलाया
फूलों को यदि मान दिया तो
काँटों से भी प्रीत निभाया।
उम्मीदों के सकल प्राप्य अरु
गुंजित नव जीवन सकल साज
इस जीवन के सकल पूण्य को
मैं अर्पित करूँ चरण पर आज।।
मैंने बाधाओं के क्षण में
तेरा ही गुणगान किया है
जीवन के दृढ़तम पथ में भी
बस तेरा ही ध्यान किया है।
तेरी इच्छा के प्रभाव से
हैं पूरण मेरे सकल काज
इस जीवन के सकल पूण्य को
मैं अर्पित करूँ चरण पर आज।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
30जून,2021
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