मुक्तक।

मुक्तक- तुम सुनना  

हवाओं ने फ़िज़ाओं से कहा कुछ आज तुम सुनना
बहारों ने घटाओं से कहा कुछ आज तुम सुनना
मिले जब दिल खिले धरती नजारे गीत गाते हैं
नया सा स्वप्न कोई फिर पलक में आज तुम बुनना।।

बदल जाती है दुनिया जब किसी का साथ मिलता है
निखर जाती है कलियाँ जब किसी का प्यार मिलता है
बड़ा मुश्किल निभा पाना अकेले जग के मेले को
जहाँ मिलता है दिल दिल से वहीं पर युग बदलता है।।

न तेरी बात सुनती हैं ना मेरी बात सुनती हैं
मिले जब दो जवां दिल तो ये आँखें बात करती हैं
औ कहती हैं इशारों में जाने कितनी ही बातें
खुले जब भी गिरें जब भी ये बस फरियाद करती हैं।।

लरजते होंठ हौले से है कितनी बात कह डाले
पलकों ने भी इशारों में सभी दास्तान कह डाले
सुने या न सुने कोई यहाँ इनके इशारों को
जो दिल में बात है इनके इशारों ने है कह डाले।।

घटाओं ने बहारों से किया है प्रीत आलिंगन
मधुर अहसास ने अधरों पर दिया प्रीत का चुंबन
हृदय उल्लास से भरकर मधुर मधुमास गाते हैं
अरु इशारों ने इशारों में किया है मौन स्पंदन।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
         हैदराबाद
         15जून, 2021



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