नव जीवन के काव्य।
रचे प्राण वायू बन जाये।।
कलम उठा कर जीवन के
हर पन्नों को आज खँगालें
आज लिखें नवगीत कोई
राग नया कुछ आज बना लें
राग सजे अधरों पर ऐसे
सुने हृदय काबू कर जाए
काव्य रचो नव जीवन के
रचे प्राण वायू बन जाये।।
लिख दो मन की बातें सारी
खिल जाए हृद की फुलवारी
रहे कहीं न भेद कोई अब
रहे नहीं कोई लाचारी
खिल जाए मन का उपवन यूँ
अविरत तप जीवन तर जाए
काव्य रचो नव जीवन के
रचे प्राण वायू बन जाये।।
लिखो कलम से सार लिखो
इस जीवन का व्यवहार लिखो
ऐसी बातें लिखो मिलन की
नव जीवन का उपहार लिखो
रचो गीत ऐसे उपवन में
तन मन ये पावन हो जाये
काव्य रचो नव जीवन के
रचे प्राण वायू बन जाये।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
09जून, 2021
हैदराबाद
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