छोटी सी अरज।

छोटी सी अरज।  

आकाशों पर रहने वाले
चरण धूलि हम धरती के
तुम राजा हो भूमंडल के
हम रहने वाले बस्ती के।।

युग जाने कितने बीत गए
हम भरे कहाँ जो रीत गए
युग युग का बस दरद यही है
हम लड़े यहाँ तुम जीत गए।।

तुम राजनीति के शीर्षपुंज
हम अदना दीपक धरती के।
तुम राजा हो भूमंडल के 
हम रहने वाले बस्ती के।।

बरसों से हमने वादों पर
पल पल विश्वास जताया है
तुम साथ चले या छोड़ दिये
हमने तो साथ निभाया है।।

तुम वादों के व्यापारी हो
हम अदना याचक धरती के।
तुम राजा हो भूमंडल के
हम रहने वाले बस्ती के।।

यूँ लोकतंत्र के मंदिर में
संवाद बहुत ही गहरे हैं
पर बरसों से लगता ऐसा
होठों पर कितने पहरे हैं।

व्योम पटल पर मुक्त प्रवाहक
हम मौन नियंत्रित धरती के।
तुम राजा हो भूमंडल के
हम रहने वाले बस्ती के।।

कभी हमारे साथ चलोगे
तब दरद हमारा समझोगे
मुक्त हृदय से कभी मिलोगे
तब मरम हमारा समझोगे।

विपुलता के शीर्ष बिंदु तुम
औ अकिंचन हम हैं धरती के।
तुम राजा हो भूमंडल के
हम रहने वाले बस्ती के।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        03मई, 2021



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