भूलना आसान नही

         

             भूलना आसान नहीं               


मुसाफिर हो गयी ज़िंदगी तेरे जाने के बाद 
भटक रहा हूँ आज भी मंज़िल की तलाश में | 
कहाँ तो मेरी सूरत से भी नफरत होती थी कभी 
सुना अब मेरे ख्वाब का भी इंतज़ार है तुम्हें | 
कोई बात तो होगी मुझमें के न भुला पाए मुझको 
चलो खुद को ही सजा दी, हर बात भुला के तेरी | 
कशिश बाकी है आज भी, जानकर भूल गए हैं सब 
तेरे दिए ज़ख्म सारे फूल हो गए हैं अब | 
खैरियत की खबर से ही तेरे खुश हो लेता हूँ मैं 
कैसे कह दूँ की फ़िक्र नहीं है तेरी मुझे | 
लम्हों के खता की सजा मिली है मझे 
तेरे ज़िक्र तक का हक़ खो चुका हूँ मैं | 
अब यही ख्वाहिश है-सुनूं के सुकून मिल गया तुझको 
मैं भी तो सुकून से निकल सकूं सुकून की तलाश में || 

अजय कुमार पाण्डेय 


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