प्यासा सावन।
प्यासा सावन, प्यासी रातें प्यासी न रह जाये चातकी
अब तो खुलकर मन की कह दो घुटकर न रह जाये चातकी।।
हमने तेरे स्वागत में
दिल के तोरण द्वार सजाए
नेह बिछाए पलकों के
अरु बाहों के हार सजाए।
हर आहट पर जा जा ठहरीं आँखें तकतीं राह द्वार की
प्यासा सावन, प्यासी रातें, प्यासी न रह जाये चातकी।।
दिन की मौन उदासी को
रातों ने आँचल में पाला
अधरों से ना कही गयी
पलकों ने वो सब कह डाला।
भोर हुई तो पलकों ने ही कह डाली सब बात रात की
प्यासा सावन, प्यासी रातें, प्यासी न रह जाये चातकी।।
विरह वेदना के क्षण में
मन को कितना समझाया है
तेरे संग बितायी जो
यादों से दिल बहलाया है।
डरता है दिल भूल न जाओ वादों वाली बात रात की
प्यासा सावन, प्यासी रातें प्यासी न रह जाये चातकी।।
सावन जाने से पहले
आ जाओ झलक दिखा जाओ
जैसे गले लगाया था
फिर मुझको गले लगा जाओ।
ऐसा ना हो इस जीवन में दिल की न कह पाए चातकी
प्यासा सावन, प्यासी रातें, प्यासी न रह जाए चातकी।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
24अगस्त, 2021
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