सब बोल सुहाने लगते हैं।
हम दीवाने लगते हैं
सब बोल सुहाने लगते हैं।।
जो कुछ भाया किया वही
दिल ने चाहा जिया वही
ज्यादा की उम्मीद न पाली
मिला जहाँ जो लिया वही
कितना कुछ पाया इस जग से
बेगाने अपने लगते हैं
सब बोल सुहाने लगते हैं।।
भूले ना हम कहीं भटककर
रुके नहीं हम कहीं ठिठककर
जब जो भी हमको पंथ मिला
चले सदा हम सँभल सँभलकर
राहों ने यूँ छाँव दिए हैं
अब धूप सुहाने लगते हैं
सब बोल सुहाने लगते हैं।।
हमने जीवन के हर पल को
खुले हृदय से सम्मान दिया
चाहे जैसा पात्र मिला हो
बस विष में भी मधुपान किया
अब तो पलकों के साये में
हर सपन सुहाने लगते हैं
सब बोल सुहाने लगते हैं।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
16जून, 2021
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